Government nod to ISRO Shukrayaan in 2028 know all about venus orbiter mission

केंद्र सरकार ने भारत ने शुक्र ग्रह मिशन को हरी झंडी दे दी है। ISRO ने इसे वीनस ऑर्बिटर मिशन (Venus Orbiter Mission (VOM) नाम दिया है। शुक्रयान 1 इस मिशन का पहला भाग होगा। इसी के साथ सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) को भी मंजूरी दे दी है। यह भारत का अपना स्पेस स्टेशन होगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के निदेशक नीलेश एम देसाई ने यह जानकारी साझा की। 

इसरो निदेशक नीलेश एम देसाई ने संस्था के स्पेस एपलिकेशन सेंटर, अहमदाबाद में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार ने हाल ही में उनके वीनस ऑर्बिटिंग सैटेलाइट शुक्रयान-1 को मंजूरी दी है। यह 2028 में लॉन्च किया जाएगा। शुक्र ग्रह को पृथ्वी का जुड़वा ग्रह भी कहा जाता है। यह ग्रह हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक मौजूद है। माना जाता है कि शुक्र ग्रह भी लगभग उन्हीं परिस्थितियों में बना है जिनमें से पृथ्वी बनकर आई है। 

VOM स्पेसक्राफ्ट वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि अलग अलग ग्रहों के पर्यावरण कैसे विकसित होते हैं। साथ ही यह मिशन उस थ्योरी को समझने में मदद करेगा जिसमें कहा जाता है कि कभी शुक्र ग्रह भी रहने लायक ग्रह रहा होगा, और बाद में यह कैसे परिवर्तित हो गया। इसके अलावा यह मिशन भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण रहेगा मसलन, भविष्य में अन्य ग्रहों के मिशनों पर भारत ज्यादा बड़ा पेलोड ले जा सकेगा। साथ ही ग्रह की कक्षा में ज्यादा बेहतर तरीके से प्रवेश कर सकेगा। 

शुक्रयान 1 के साथ ही सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) को भी मंजूरी दे दी है। यह भारत का अपना स्पेस स्टेशन होगा। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 16 प्रेशराइज्ड मॉड्यूल हैं, लेकिन भारत के स्पेस स्टेशन में 5 मॉड्यूल ही होंगे। पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च किया जाएगा। भारत का स्पेस स्टेशन 2035 तक तैयार हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि भारत जब 2040 में चांद पर लैंड करेगा उस वक्त हमारा अपना स्पेस स्टेशन ही ट्रांजिट सुविधा के रूप में काम कर रहा होगा। 

चंद्रयान 3 के बाद अब भारत Chandrayaan 4 की तैयारी कर रहा है। चंद्रयान 4 इसलिए खास होगा क्योंकि इसमें न सिर्फ चांद पर लैंडिंग की जाएगी बल्कि वहां से मिट्टी और पत्थरों के नमूने भी धरती पर लाए जाएंगे। चंद्रयान 4 के लिए भारत की योजना जापान के साथ भागीदारी करने की है। चंद्रयान 3 जहां चांद के साउथ पोल पर 69.3 डिग्री पर उतरा था, चंद्रयान 4 में यह कोशिश साउथ पोल पर 90 डिग्री साउथ पर उतरने की होगी। 
 

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