
नव ग्रहों में केतु भी एक है. लेकिन ज्योतिष में इसे छाया ग्रह कहा जाता है. केतु का वाहन कबूतर है और वर्ण धूर्म है. इसे संपत ग्रह कहते हैं. अन्य ग्रहों की तरह अगर कुंडली में केतु अनुकूल न हो तो जीवन में परेशानियां रहती हैं.

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार केतु न किसी राशि के स्वामित्व हैं और इसका न ही कोई स्थान है, ये जिस भाव में बैठ जाता है उसी अनुसार फल भी देता है.

18 मई 2025 को शाम 4 बजकर 45 मिनट पर केतु कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे. कन्या राशि वाले भले ही केतु की अंतर्दशा से मुक्त हो जाएंगे. लेकिन इसके बावजूद कन्या समेत कई राशियों की परेशानी बढ़ सकती है.

दरअसल नए साल 2025 में केतु का गोचर सिंह राशि में होगा, जोकि सूर्य की राशि है. सूर्य की राशि में केतु जैसे पाप ग्रह का गोचर ज्योतिष में अनुकूल नहीं माना जाता है. इससे कन्या समेत मेष, वृश्चिक और मकर राशि वालों को विशेष सावधानी रखनी होगी.

बता दें कि केतु 2025 में मेष राशि के पांचवे, कन्या के द्वादश, वृश्चिक राशि के दसवें और मकर राशि के आठवें भाव में गोचर करेंगे.
Published at : 21 Nov 2024 06:02 PM (IST)
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