मार्केट रेगुलेटर SEBI ने डेरिवेटिव्स सेगमेंट में स्टॉक्स की एंट्री और एग्जिट के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। SEBI ने मीडियन क्वार्टर सिग्मा ऑर्डर साइज (MQSOS) को तीन गुना, मिनिमम मार्केट वाइड पोजिशन लिमिट (MWPL) को तीन गुना और एवरेज डेली डिलीवरी वैल्यू (ADDV) को 3.5 गुना तक बढ़ाया है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि केवल हाई क्वालिटी वाले स्टॉक्स ही डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग के योग्य हों। MQSOS किसी स्टॉक की लिक्विडिटी का संकेत होता है। इसकी संख्या जितनी अधिक होगी, स्टॉक की कीमतों में हेरफेर करना उतना ही कठिन होगा।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 30 अगस्त को जारी एक सर्कुलर में कहा कि इसके अलावा स्टॉक्स की निगरानी से जुड़ी चिंताओं, उसके खिलाफ चल रही जांच और प्रशासनिक चिंताओं जैसे दूसरे पहलुओं पर भी विचार किया जाएगा।
नए नियमों के तहत MQSOS को 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया है। साथ ही, MWPL को 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मार्केट में ज्यादा पोजिशन वाले स्टॉक्स ही डेरिवेटिव्स में बने रहें।
SEBI का कहना है कि स्टॉक्स की एंट्री/एग्जिट के ये नियम 2018 के बाद पहली बार रिव्यू किए गए हैं और मार्केट पैरामीटर्स में हुए बदलावों को ध्यान में रखते हुए इन्हें चेंज किया गया है। अब जिन स्टॉक्स की एवरेज डेली डिलीवरी वैल्यू 35 करोड़ रुपये से कम होगी, उन्हें डेरिवेटिव्स सेगमेंट से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। पहले यह सीमा 10 करोड़ रुपये थी।
यदि कोई स्टॉक लगातार तीन महीने तक इन मानकों को पूरा नहीं कर पाता है, तो वह डेरिवेटिव्स से बाहर हो जाएगा। डेरिवेटिव सेगमेंट से बाहर निकलने वाले स्टॉक पर कोई नया कॉन्ट्रैक्ट्स जारी नहीं किया जा सकता है। लेकिन मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स तब तक ट्रेड हो सकते हैं जब तक उनकी एक्सपायरी नहीं हो जाती।
SEBI ने सिंगल-स्टॉक डेरिवेटिव्स के लिए एक नया प्रोडक्ट-सक्सेस फ्रेमवर्क भी पेश किया है, जो यह तय करेगा कि कौन से स्टॉक्स को डेरिवेटिव्स से बाहर किया जाए। यह इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए मौजूद ढांचे के समान है।
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