UP Bahraich Wolf Attack Reason Forest Department Team Search Operation MLA Surveshwar Singh Guarding With Gun

Wolf Attack Bahraich: उत्तर प्रदेश के बहराइच में पिछले डेढ़ महीने से भेड़ियों का आतंक देखने को मिल रहा है. पिछले 40 दिन में भेड़िए 30 से ज्यादा हमले कर चुके हैं. वन विभाग से लेकर यूपी पुलिस तक ऑपरेशन भेड़िया को अंजाम तक पहुंचाने में जुटी है. मगर भेड़िए के पकड़े जाने से पहले ही उसने अब तक 8 लोगों की जान ले ली है, जिसमें मासूम बच्चे भी शामिल हैं. बहराइच के 35 गांवों में भेड़ियों ने आतंक मचाया हुआ है और अब तक 30 से ज्यादा लोगों भी हो चुके हैं. 

आदमखोर भेड़ियों का आतंक ऐसा है कि बहराइच के मेहसी के विधायक सुरेश्वर सिंह खुद लाइसेंसधारी राइफल लेकर ग्राउंड जीरो पर उतर आए हैं. उनके समर्थक भी हथियारों के साथ गांवों में डेरा डाले हुए हैं. विधायक ने कहा कि वह हथियार लेकर इसलिए आए हैं, ताकि लोगों को भरोसा हो सके कोई उनके साथ खड़ा है. उन्होंने साफ किया कि वह वन्यजीव की हत्या नहीं करना चाहते हैं. विधायक ने कहा कि वह चार लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है. 

तीन भेड़ियों को पकड़ा गया

वन विभाग की टीम का दावा है कि 3 भेड़ियों को पकड़ लिया गया है और अपने साथियों को ना देखकर एक भेड़िया बेहद आक्रामक हो चुका है. एक भेड़िया जिसका एक पैर ठीक से काम नहीं कर रहा है, वो इतना खतरनाक है कि माओं की गोद से बच्चों को खींचकर ले जा रहा है. वन विभाग ने बताया है कि अभी तीन भेड़िए एक्टिव हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए ड्रोन और ट्रेंकुलाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, अभी तक वन विभाग की टीम को पूरी सफलता नहीं मिल पाई है. 

बहराइच में भेड़ियों को पकड़ने के लिए क्या प्लानिंग की गई है?

बहराइच के गांवों में 32 टीमें लगाई गई हैं. ये भेड़िए करीब 35 किलोमीटर के दायरे में मूव कर रहे हैं. इस वजह से ड्रोन से निगरानी की जा रही है. बड़े-बड़े अधिकारी मौके पर तैनात हैं. लगातार हमलों के बीच रात रात भर जागकर पहरा दिया जा रहा है. प्रशासन गांव गांव में घूमकर अपील करवा रहा है कि रात में लोग घरों से बाहर निकलें तो सावधान रहे और घर में बिजली ना हो तो छत पर सोएं. इतना ही नहीं खुद इलाके के विधायक बंदूक लेकर भेड़िए से भिड़ने के लिए रात को गांव की गलियों में निकल रहे हैं.

आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए पांच वन प्रभागों की टीम लगी हुई हैं. इसमें हराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा और बाराबंकी की टीमें शामिल हैं. भले ही वन विभाग ने भेड़ियों की संख्या छह बताई है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इनकी संख्या दो दर्जन है. गांव और खेतों से भेड़ियों को दूर करने के लिए पटाखे फोड़े जा रहे हैं, ताकि वह डर के मारे भाग जाएं. लगातार अनाउंसमेंट कर लोगों से कहा जा रहा है कि वह रात के समय या अंधेरे में घरों से बाहर नहीं निकलें. 

गांवों में भारी पुलिस बल तैनात है. वन विभाग की टीम खेतों के बीच ड्रोन के जरिए भेड़ियों का सुराग तलाश रही है. जाल के साथ जगह-जगह पिंजरा लगाया गया है. ड्रोन कैमरा, इंफ्रा रेड कैमरा, थर्मल इमेजिंग कैमरा का इस्तेमाल करके भेड़िए की तलाश की जा रही है.

भेड़िए की क्या खासियत होती है?

भेड़ियों को झुंड में रहने वाले जानवर के तौर पर जाना जाता है. इसके मुंह में 42 दांत होते हैं. एक भेड़िए का जबड़ा इतना मजबूत होता है कि वो अपने शिकार की हड्डी तक चबा जाने की ताकत रखता है. भेड़िए 10 से 15 साल तक जिंदा रहते हैं. वो ना सिर्फ 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं, बल्कि बेहतरीन तैराक भी होते हैं. भेड़ियों की सूंघने की क्षमता किसी जासूसी कुत्ते से ज्यादा तेज होती है. वो अपने शिकार को 1.5 किमी दूर से सूंघ लेते हैं.

कुत्ते की प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर भेड़िया है, जिसे एक दिन में डेढ़ किलो से पौने दो किलो मांस खाने के लिए चाहिए होता है. मगर कई बार भेड़िया एक दिन में ही साढ़े चार किलो तक मांस खा जाता है. भेड़िए को सामाजिक प्राणी कहा जाता है क्योंकि वो अकेले रहना पसंद नहीं करता. भेड़िए का झुंड 2 से 30 तक हो सकता है. 

ऐसा नहीं है कि भेड़ियों के झुंड में पूरे जंगल के भेड़िए होते हैं. दरअसल एक झुंड में भेड़ियों का एक परिवार होता है. झुंड का नेतृत्व माता-पिता करते हैं. कई बार झुंड में दो पीढ़ियों के बच्चे होते हैं. अगर झुंड के किसी साथी पर कोई जानवर हमला कर दे तो मर मिटने के लिए तैयार रहते हैं. यही वजह है कि शेर जैसे खूंखार जानवर भी भेड़िए का शिकार करने से बचते हैं.

क्यों भेड़ियों का झुंड हुआ आदमखोर, क्या है हमले की वजह?

भेड़िए हमेशा झुंड में शिकार करते हैं, इसलिए वो बड़े से बड़े जानवर पर अटैक करने से पीछे नहीं हटते. मगर यूपी के बहराइच में कहानी बिल्कुल उल्टी है. यहां ना सिर्फ भेड़िया अकेले अटैक कर रहा है, बल्कि वो मासूम छोटे बच्चों को तलाश रहा है ताकि शिकार करने में परेशानी ना हो. खतरनाक बात ये है कि वन विभाग की टीम को भेड़िए के जो पैर के निशान मिले हैं, उसके मुताबिक एक भेड़िया ठीक से चल नहीं पा रहा यानि उसके एक पैर में कोई दिक्कत है और इसीलिए वो जंगली जानवरों की बजाय घर के आंगन में सो रहे छोटे बच्चों को निशाना बना रहा है.

भेड़िए का इस इलाके में शिकार करना इसलिए भी आसान है, क्योंकि ये काफी गरीब इलाका है. जिन घरों में हमले हुए हैं, वहां या तो दरवाजे नहीं हैं या फिर जहां एक आध जगह हैं भी तो लोग आंगन में सो रहे हैं और उनके साथ बच्चे भी सो रहे हैं. ये भेड़ियों का झुंड दबे पांव आकर घर के पास ही कहीं छिपकर बैठ जाते हैं और इंतजार करते हैं कि मां बच्चे के पास से हटे और ये शिकार करें. भेड़िए के जिस स्वभाव का अनुसरण करने के लिए कहा जाता है मौजूदा हालात में वो स्वभाव ही बेहद घातक हो चुका है.

भेड़ियों के झुंड में अगर किसी को शिकार का आसान जरिया मिल जाए तो दूसरे सभी भेड़िए उसी तरीके पर चलने लगते हैं. बहराइच में भी यही हो रहा है. वन्य विभाग के मुताबिक वन क्षेत्र में बाढ़ आई है भेड़ियों को भोजन की कमी महसूस हो रही है और इसलिए वो इंसानों की बस्ती की तरफ आ चुके हैं. भेड़िए जितने ताकतवर होते हैं उतने ही चालाक होते हैं. ये हालात देखकर अपनी रणनीति बदल लेते हैं और यही वजह है कि प्रशासन पूरी ताकत लगाने के बाद भी भेड़ियों को पकड़ नहीं पा रहा है. 

वन विभाग ने भेड़ियों के हमलों पर क्या कहा? 

बहराइच की चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर रेनू सिंह का कहना है कि भेड़ियों के साथ इंसानों का टकराव होता रहता है. मगर इस बार ये टकराव कुछ ज्यादा ही खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. ऐसा मालूम हो रहा है कि भेड़ियों का पूरा परिवार ही आदमखोर बन गया है और लोगों पर हमले कर रहा है. अभी तक तीन भेड़ियों को पकड़ा गया है और बाकियों को भी जल्द ही पकड़ लिया जाएगा. वन विभाग की टीम लोगों को अलर्ट करने का भी काम कर रही है. 

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